"दूसरे देशों की सत्यता कुछ भी हो, भारत जहाँ, किसी भी क़ीमत पर ८० प्रतिशत से भी अधिक जनता खेतिहर एवम् १० प्रतिशत औद्योगिक (श्रमिक) है में, शिक्षा को केवल अक्षरज्ञान बना देना एवम् लड़कों तथा लड़कियों को बाद के जीवन के लिए शारीरिक श्रम की दृष्टि से अनुपयुक्त (unfit) बना देना अपराध है | हालाँकि मैं मानता हूँ की हमारे समय का एक बड़ा हिस्सा रोटी कमाने के श्रम में लग जाता है फिर भी हमारे बच्चों को उनके बालपन से ही श्रम की गरिमा ( dignity) समझानी चाहिए | उन्हें इस प्रकार नहीं पढ़ाया जाना चाहिए कि वे विद्यालय जाने में हतोत्साहित हों और उन्हें लगे कि उनका जाना व्यर्थ है, और उन्हें एक खेतीहर श्रमिक को लगता है वैसा लगने लगे |" -Young India, 1-9-‘21
(The original text is in English it is translated in Hindi by Priyadarshan Shastri)
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