Sunday, September 2, 2012


'स्वराज' एक पवित्र शब्द है, एक वैदिक शब्द है, जिसका अर्थ है- आत्मानुशासन तथा आत्मसंयम,  सभी प्रतिबंधनों से मुक्ति को अक्सर 'आज़ादी' समझा जाता है से नहीं है |' -महात्मा गाँधी 
महात्मा गाँधी ने १९२२ में माँग की थी - "स्वराज ब्रिटिश पार्लियामेंट की भिक्षा नहीं होगी, यह भारत की स्वयं की गई घोषणा होगी | यह सत्य है कि इसे पार्लियामेंट का एक्ट के अधीन अभिव्यक्त किया जाएगा किंतु यह भारत के लोगों की घोषणा का विनम्र अनुमोदन मात्र होगा जैसा कि दक्षिण अफ्रीका के संघ के मामले में किया गया था | "उक्त माँग महात्मा गाँधी ने भारत के संविधान की रचना भारत के लोगों के द्वारा स्वयं करने के संबंध में ब्रिटिश शासन से की थी |"
-प्रियदर्शन शास्त्री 

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