"अगर स्वराज का मक़सद हमें सभ्य बनाना नहीं है, हमारी सभ्यता को स्थिर एवम् शुद्ध करना नही है तो इसका (स्वराज) कोई मूल्य नहीं होगा | हमारी सभ्यता का मूल सार अपने सभी कार्यों, चाहे वे जनता के लिए हों या व्यक्तिगत, में नैतिकता को उच्च स्थान प्रदान करना है |" -यंग इंडिया, 23-1-‘30
"पूर्ण स्वराज....पूर्ण... कम्पलीट से है क्योंकि जैसा जितना ये (स्वराज) एक राजकुमार के लिए है उतना ही एक खेतिहर के लिए है, जैसा जितना ये एक अमीर ज़मींदार के लिए है उतना ही एक भूमिहीन किसान के लिए है, जैसा जितना ये हिंदुओं के लिए है उतना ही मुसलमानों केलिए है, ईसाईयों, पारसियों, जैनियों, सिक्खों एवम् यहूदियों के लिए है जाती या नस्ल या जीवन स्तर का विभेद विचारणीय नही है |" -यंग इंडिया, 5-3-‘31
(The original text is in English, it is translated in Hindi by Priyadarshan Shastri)
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