"स्वराज केवल वहाँ कायम रखा जा सकता है जहाँ निष्ठावान एवम् देशभक्त, जिनका देश के भले का लक्ष्य ही सर्वोपरि हो चाहे कोई भी बात हो जिसमें व्यक्तिगत लाभ ही क्यों ना शामिल हो | स्वराज से अभिप्राय अधिकतम (लोगों) के शासन से है | जहाँ अधिकतम ही अनैतिक एवम् स्वार्थी हो जाएँ वहाँ उनके शासन को 'अराजकता' के सिवा कुछ भी नहीं कहा जा सकता है |"- .Young India, 28-7-‘21
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